इस खंड में द्यूत में हारने के पश्चात् पांडवों के वनवास की कथा है । कुंती, पाण्डु के साथ शत-श्रृंग पर वनवास करने गई थी । लाक्षागृह के जलने पर, वह अपने पुत्रों के साथ हिडिम्ब वन में भी रही थी । महाभारत की कथा के अंतिम चरण में, उसने धृतराष्ट्र, गांधारी तथा विदुर के साथ भी वनवास किया था । किन्तु अपने पुत्रों के विकट कष्ट के इन दिनों में वह उनके साथ वन में नहीं गयी । वह न द्वारका गयी, न भोजपुर । वह हस्तिनापुर में विदुर के घर पर क्यों रही ? इस प्रकार अनेक प्रश्नों के उत्तर निर्दोष तर्कों के आधार पर अंतराल में प्रस्तुत किये हैं ।
इस खंड में द्यूत में हारने के पश्चात् पांडवों के वनवास की कथा है । कुंती, पाण्डु के साथ शत-श्रृंग पर वनवास करने गई थी । लाक्षागृह के जलने पर, वह अपने पुत्रों के साथ हिडिम्ब वन में भी रही थी । महाभारत की कथा के अंतिम चरण में, उसने धृतराष्ट्र, गांधारी तथा विदुर के साथ भी वनवास किया था । किन्तु अपने पुत्रों के विकट कष्ट के इन दिनों में वह उनके साथ वन में नहीं गयी । वह न द्वारका गयी, न भोजपुर । वह हस्तिनापुर में विदुर के घर पर क्यों रही ? इस प्रकार अनेक प्रश्नों के उत्तर निर्दोष तर्कों के आधार पर अंतराल में प्रस्तुत किये हैं ।