वर्षों पूर्व शांति स्थापित करने के लिए जिस एकद्वीप का विभाजन हुआ था, आज वही एकद्वीप खड़ा है एक भीषण युद्ध की विभीषिका पर। दक्षिणांचल का महाराज शतबाहु जल दस्युओं की सहायता से पुनः अखंड एकद्वीप का निर्माण करना चाहता है, परंतु उसके परिणाम सबके लिए भयावह होने वाले हैं। मेघपुरम को लक्ष्य बना कर अपने ग्राम से निकला कौस्तुभ क्या मायावियों, वनवासियों और मार्ग की अन्य बाधाओं को पार कर अपने गंतव्य तक पहुँच पायेगा? मरुभूमि के आश्रम में शिक्षा प्राप्त कर रहा शिखी क्या अपने साथ घट रही घटनाओं और स्वयं की वास्तविकता को जान पायेगा? सिंधु के तट पर बसे प्रसान नगर में छद्म रूप में रह रहा युवराज यशवर्धन क्या समय से पूर्व वर्षानों के षडयंत्र को समझ पायेगा? किस प्रकार जुड़े हैं यह सभी आने वाले युद्ध से? छल, क्रोध, माया, प्रेम और साहस से भरी अविस्मरणीय गाथा!
वर्षों पूर्व शांति स्थापित करने के लिए जिस एकद्वीप का विभाजन हुआ था, आज वही एकद्वीप खड़ा है एक भीषण युद्ध की विभीषिका पर। दक्षिणांचल का महाराज शतबाहु जल दस्युओं की सहायता से पुनः अखंड एकद्वीप का निर्माण करना चाहता है, परंतु उसके परिणाम सबके लिए भयावह होने वाले हैं। मेघपुरम को लक्ष्य बना कर अपने ग्राम से निकला कौस्तुभ क्या मायावियों, वनवासियों और मार्ग की अन्य बाधाओं को पार कर अपने गंतव्य तक पहुँच पायेगा? मरुभूमि के आश्रम में शिक्षा प्राप्त कर रहा शिखी क्या अपने साथ घट रही घटनाओं और स्वयं की वास्तविकता को जान पायेगा? सिंधु के तट पर बसे प्रसान नगर में छद्म रूप में रह रहा युवराज यशवर्धन क्या समय से पूर्व वर्षानों के षडयंत्र को समझ पायेगा? किस प्रकार जुड़े हैं यह सभी आने वाले युद्ध से? छल, क्रोध, माया, प्रेम और साहस से भरी अविस्मरणीय गाथा!