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विष्णु प्रभाकर की 5 सुपरहिट कहानियाँ

विष्णु प्रभाकर
3.58/5 (12 ratings)
सन् 1931 में जब विष्णु प्रभाकर 19 वर्ष के थे, उनकी पहली कहानी ‘दिवाली की रात’ लाहौर से निकलनेवाले ‘मिलाप’ पत्र में छपी। उसके बाद जो सिलसिला शुरू हुआ, वह 76 वर्ष सन् 2007 तक निर्बाध चलता रहा। उनके लेखन में विचार नारों की तरह शोरगुल में नहीं बदलता। मनुष्य मन की जटिल व्यवस्था हो या अमानवीय असामाजिक परिस्थितियाँ, विष्णु प्रभाकर उस मनुष्य की चिंता करते हैं, जिसे सताया जा रहा है और फिर भी निरंतर मुक्ति संग्राम में जुटा है। उनकी कथावस्तु में प्रेम, मानवीय संवेदना, पारिवारिक संबंध, अंधविश्वास जैसे विषय मौजूद हैं।
विष्णुजी की अधिक रुचि मनुष्य में रही। उन्होंने उसके जीवन के झूठ और पाखंड को देखा, उसके छोटे-से-छोटे क्रियाकलाप को बारीकी से परखा, उसके अंतर में चलते द्वंद्व को समझा, अपने दीर्घ अनुभव के साँ
Format:
Pages:
pages
Publication:
Publisher:
Edition:
Language:
ISBN10:
ISBN13:
kindle Asin:
B07DLR6RCH

विष्णु प्रभाकर की 5 सुपरहिट कहानियाँ

विष्णु प्रभाकर
3.58/5 (12 ratings)
सन् 1931 में जब विष्णु प्रभाकर 19 वर्ष के थे, उनकी पहली कहानी ‘दिवाली की रात’ लाहौर से निकलनेवाले ‘मिलाप’ पत्र में छपी। उसके बाद जो सिलसिला शुरू हुआ, वह 76 वर्ष सन् 2007 तक निर्बाध चलता रहा। उनके लेखन में विचार नारों की तरह शोरगुल में नहीं बदलता। मनुष्य मन की जटिल व्यवस्था हो या अमानवीय असामाजिक परिस्थितियाँ, विष्णु प्रभाकर उस मनुष्य की चिंता करते हैं, जिसे सताया जा रहा है और फिर भी निरंतर मुक्ति संग्राम में जुटा है। उनकी कथावस्तु में प्रेम, मानवीय संवेदना, पारिवारिक संबंध, अंधविश्वास जैसे विषय मौजूद हैं।
विष्णुजी की अधिक रुचि मनुष्य में रही। उन्होंने उसके जीवन के झूठ और पाखंड को देखा, उसके छोटे-से-छोटे क्रियाकलाप को बारीकी से परखा, उसके अंतर में चलते द्वंद्व को समझा, अपने दीर्घ अनुभव के साँ
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Pages:
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Language:
ISBN10:
ISBN13:
kindle Asin:
B07DLR6RCH