यह स्वदेश दीपक की सात साल लंबी बीमारी के अनुभवों का दस्तावेज है. इसमें कुछ भी सिलसिलेवार नहीं है, क्योंकि ये खंडित साल हैं. यह किताब न तो बाहरी समय का इतिहास है और न ही किसी मेडिकल जर्नल के लिए लिखा गया पेपर. नौ खंडों में विभाजित इस कृति की विशिष्टता है सच का सामना करने के लिए चुनी गई कोलाज शैली.
यह स्वदेश दीपक की सात साल लंबी बीमारी के अनुभवों का दस्तावेज है. इसमें कुछ भी सिलसिलेवार नहीं है, क्योंकि ये खंडित साल हैं. यह किताब न तो बाहरी समय का इतिहास है और न ही किसी मेडिकल जर्नल के लिए लिखा गया पेपर. नौ खंडों में विभाजित इस कृति की विशिष्टता है सच का सामना करने के लिए चुनी गई कोलाज शैली.