हालात की गर्दिश ने जीत सिंह का कभी पीछा न छोड़ा। इस बार बमय सामान एक पैसेंजर पकड़ा तो मंजिल पर पहुँचकर पैसेंजर गायब हो गया। सामान की वजह से थाने में हाजिरी भरनी पड़ी। वहाँ सामान का भेद खुला तो प्राण कांप गए। फिर उसके साथ बद् से बद्तर हुआ, बद्तरीन हुआ। ऐसा ही था जीत सिंह उर्फ जीता जो कभी कुछ न जीता फिर भी नाम जीता !
हालात की गर्दिश ने जीत सिंह का कभी पीछा न छोड़ा। इस बार बमय सामान एक पैसेंजर पकड़ा तो मंजिल पर पहुँचकर पैसेंजर गायब हो गया। सामान की वजह से थाने में हाजिरी भरनी पड़ी। वहाँ सामान का भेद खुला तो प्राण कांप गए। फिर उसके साथ बद् से बद्तर हुआ, बद्तरीन हुआ। ऐसा ही था जीत सिंह उर्फ जीता जो कभी कुछ न जीता फिर भी नाम जीता !