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कालिंदी

Shivani
4.05/5 (76 ratings)
."एक बुजुर्ग ने मुझे रोक कर कहा-" कालिंदी पढ़ रहा हूँ ! आहा कैसा चित्र खींचा है उन दिनों का ! लगता है एक बार फिर उसी अल्मोड़ा में पहुँच गया हूँ !" "मुझे लगा मुझे कुमाऊ का सर्वोच्च साहित्य पुरस्कार मिल गया !". शिवानी के यह शब्द उपन्यास की पाठकों तक सहज पहुँच और स्वयं उनकी अपने लाखों सरल, अनाम पाठकों के प्रति अगाध समर्पण भाव का आईना है ! डॉक्टर कालिंदी एक स्वयंसिद्धा लड़की है, जिसने अपने जीवन के झंझावातों से अपनी शर्तों पर मुकाबला किया ! कुमाऊँ की स्त्री शक्ति के सुदीर्घ शोषण और उसकी अदम्य सहनशक्ति और जिजीविषा का दस्तावेज यह उपन्यास नए और पुराने के टकराव और पुनर्सृजन की गाथा भी है ! शिवानी की मातृभूमि अल्मोड़ा और उस अंचल के गांवों की मिटटी-बयार की गंध से भरी कालिंदी की व्यथा-कथा भारत की उन सैकड़ों लड़कियों की महागाथा है, जो आधुनिकता का स्वागत करती हैं, लेकिन परंपरा की डोर को भी नहीं काट पातीं ! अपने पुरुष उत्पीड्कों और शोषकों के प्रति भी अनथक स्नेह-ममत्व बनाए रखनेवाली कालिंदी और उसकी एकाकिनी माँ अन्नपूर्णा क्या आज भी देश के हर अंचल में मौजूद नहीं?
Format:
Paperback
Pages:
195 pages
Publication:
2009
Publisher:
Radhakrishna Prakashan
Edition:
Language:
hin
ISBN10:
8183610676
ISBN13:
9788183610674
kindle Asin:
B01M5IZ0PD

कालिंदी

Shivani
4.05/5 (76 ratings)
."एक बुजुर्ग ने मुझे रोक कर कहा-" कालिंदी पढ़ रहा हूँ ! आहा कैसा चित्र खींचा है उन दिनों का ! लगता है एक बार फिर उसी अल्मोड़ा में पहुँच गया हूँ !" "मुझे लगा मुझे कुमाऊ का सर्वोच्च साहित्य पुरस्कार मिल गया !". शिवानी के यह शब्द उपन्यास की पाठकों तक सहज पहुँच और स्वयं उनकी अपने लाखों सरल, अनाम पाठकों के प्रति अगाध समर्पण भाव का आईना है ! डॉक्टर कालिंदी एक स्वयंसिद्धा लड़की है, जिसने अपने जीवन के झंझावातों से अपनी शर्तों पर मुकाबला किया ! कुमाऊँ की स्त्री शक्ति के सुदीर्घ शोषण और उसकी अदम्य सहनशक्ति और जिजीविषा का दस्तावेज यह उपन्यास नए और पुराने के टकराव और पुनर्सृजन की गाथा भी है ! शिवानी की मातृभूमि अल्मोड़ा और उस अंचल के गांवों की मिटटी-बयार की गंध से भरी कालिंदी की व्यथा-कथा भारत की उन सैकड़ों लड़कियों की महागाथा है, जो आधुनिकता का स्वागत करती हैं, लेकिन परंपरा की डोर को भी नहीं काट पातीं ! अपने पुरुष उत्पीड्कों और शोषकों के प्रति भी अनथक स्नेह-ममत्व बनाए रखनेवाली कालिंदी और उसकी एकाकिनी माँ अन्नपूर्णा क्या आज भी देश के हर अंचल में मौजूद नहीं?
Format:
Paperback
Pages:
195 pages
Publication:
2009
Publisher:
Radhakrishna Prakashan
Edition:
Language:
hin
ISBN10:
8183610676
ISBN13:
9788183610674
kindle Asin:
B01M5IZ0PD